कालेरी जाट का इतिहास
कालेरी जाट एक प्रमुख जाट समुदाय है जो भारत के राजस्थान, उत्तप्रदेश, मध्यप्रदेश, हरियाणा एवं पंजाब तथा पाकिस्तान में पायी जाती है
माना जाता है कि कालकूट पर्वत में आये लोगो को कालेरी कहा जाता है हिंदी मे ”काल’ का अर्थ समय होता है। इस नाम का यूरोपीय समकक्ष ‘कलेयर’ है। डॉ. पेमा के अनुसार – राजस्थान में चुरू शहर की स्थापना कालेर जाट ने की थी। इसे पहले कालेरा बास के नाम से जाना जाता था।
एचर रोज के अनुसार -> कालेर एक जाट जनजाति है जी जिद में मिलती है। मम्मावाड़ी में इसके सिद्ध दीदार सिंह की समाधि है। कहार और उनके वंशज नट्टू और दारा ने एक वंश विकसित किया जिसको कांग का वंशज कहा गया। ये वंशज जहांगीर के समय उस गांव में चले गये थे। लुधियाना में कलेर जाट सादियों में अपने जठेरा की पूजा उसके मंदिर में करते है वे सखी सखर को भी प्रभावित करते है और शादी में पेट भराई की रोटी दी जाती है। गाय या भेस का पहला दूध कुंवारी कन्या को दिया जाता है। यह अमृतसर और मोटगोमरी में एक कृष्षि कबीले के रूप में पाया जाता है। अमृतसर में पाया जाने वाला एक अरैन कबीला है।
कलेर कबीले द्वारा स्थापित गाँव
ढाणी कालेरी ->राजस्थान में चुरु जिले की सरदारशहर तहसील का एक गांव।
राजस्थान के गाँव -> झोटवाडा, मुरलीपुरा योजना।
अलवर के गाँव -> रायपुर जाटां
सीकर जिले के गाँव -> सीकर जीले के अंतर्गत अलखपुरा गोदारान,
बाडलवास, हरदयालपुरा, कालेर की ढाणी, लक्ष्मणगढ़, नेठवा, सीकर ।
बीकानेर -> बीकानेर जिले में खाजूवाला गाँव स्थित हैं।
हरियाणा -> हरियाणा में भी कालेरी जाट पाए जाते है इसमे यमुनानगर, अम्बाला और सिरसा जिले सम्मिलित है। इन जिलों के गाँव इस प्रकार है।
• यमुनानगर जिले के अंतर्गत ललहारी कलां, जोगीवाड़ा गाँव आ ते हैं।
• अम्बाला गाँव -> इसमे सिहमार, नारायणगढ़, छोटी कोहरी आते है।
• सिरसा जिला -> सिरसा जिले के अंतर्गत नेजिया खेड़ा गाँव आता है
• उत्तरप्रदेश -> उत्तरप्रदेश में भी कालेरी जाट के लोग पाए जाते है। इसके अंतर्गत हापुड, गाजियाबाद, मेरठ, जेपी और मुरादाबाद जिले आते है। इन जिलो के गांव इस प्रकार है। जिसमें कालेरी जाट वंश के लोग पाए जाते है।
→ हापुड जिले के गाँव → इसमें रसूलपुर, सादुल्लापुर लोधी गांव आते ।
→ गाजियाबाद जिला → इसमें गंधू नगला गाँव आता
→ मेरठ जिले के गाँव → इस जिले के अंतर्गत सादुल्लापुर, ढडरा गाँव सम्मलित् है → जेपी जिला → इसमें नगलिया बहादुरपुरगाँव आता है.
→ मुरादाबाद जिला → इसके अंतर्गत भागलपुर बनसली आता है।
→ मध्यप्रदेश प्रदेश → इसके अंतर्गत बड़वानी जिले का सेंधवा गाँव आता है। →पाकिस्तान → इसके अंतर्गत सरगोधा जिला का कलेरा गाँव आता है।
→ पंजाब: पंजाब के अंतर्गत फतेहगढ़, मोगा, गुरदासपुर, फिरोजपुर रोपड़, जलाधर, अमृतसर, बुधियाना, नवाशहर, सगरू और होशियारपुर जिले आते हैं। है। इन जीले मे आने वाले गाँव इस प्रकार है→
फ़तहेगढ़ जिले के गाँव : इसके अंतर्गत अमरगढ़, जटाणा उचा और जटाणा नवीन गाँव आता है।
मोगा जिला : इस जिले के अंदर नानकसर कलेर रामू वाला गाँव आता है
गुरदासपुर जिला : इस जिले के अंतर्गत लालोवाल, कलेर कला, कलेर, खुर्द, खूनी कलेर, बुजुर्गवाल गाँव आते है।
फिरोजपुर जिला : इस जिले के अदर कलेर खेड़ा (कालेर) और जिरा माता है
• होशियारपुर जिला : इस जिले में बालपुर गांव भाता है।
• नवांशहर जिला : कलेरा पंजाब के नवांशहर जिले की नवांशहर तहसील में एक गांव है।
• लुधियाना जिला : लुधियाना जिले के अंतर्गत अखाड़ा, अमरगढ़ उर्फ कलेर, बरूडी, जटाना,ककराल कलां, रायकोट, हठूर और लोहटबडी गाँव आते है
• जलांघर जिले में ढाहां कलेरा, पराजियां कलां, रानियां, भोजोवाल, बुलंदपुर, और नुस्सी गाँव आते है
समाजसेवी जन->
कालेरी जाट के समाजसेवी लोगों में डॉ० शैलेन्द्र कुमार राजू आते है। ये गाँव गुवरारी तहसील हाथरस जिला अलीगढ़ के रहने वाले है। ये रोटरी क्लब हाथरस के पदाधिकारी है। इसके अलावा समाजसेवीजन में राजा महेन्द्र प्रताप ट्रस्ट आते है ये जाट समाज के सदस्य है ये गावर नर्सिंग होम चलाते है
मुण्ड जाट क्षत्रिय आर्य गोत्र
इतिहासकारों के अनुसार मणडोवर स्थान से मूण्ड गोत्र की शुरूआत मानी जाती है। मुंडवारिया जाट जाति की प्राचीन गोत्रों में से एक हैं। मुंडवारिया गोत्र ने अपनी वीरता और रणकौशल से जाट जाति के गौरवशाली इतिहास को आगे बढ़ाया। मुंडवारिया गोत्र मुख्यतः राजस्थान के नागौर, अजमेर, चित्तौड़गढ़, भरतपुर जिलों में फैली हैं।
लोककथाओं और लोकोक्तियों के अनुसार 711 ईसवी में जब मोहम्मद बिन कासिम ने भारत में इस्लाम की स्थापना के लिए आक्रमण किया, इस युद्ध में सिंध का राजा दाहिर सेन मारा गया और मोहम्मद बिन कासिम का सिंध पर कुण्जा हो गया। इस विजय से खुश होकर मोहम्मद ने कन्नौज पर आक्रमण करने का निर्णय लिया। मोहम्मद ने कन्नौज पर आक्रमण कर दिया। इस दोरान उसनें रास्ते में पड़ने वाले गावों और शहरों को जला दिया , इसके अलावा औरतों के साथ बलात्कार, बच्चों की बेरहमी से हत्या करना उसके लिए आम बात थी।
जब मधिकतर राजा उनके डर से अपना महल छोड़कर जंगलों में छुप गये, उस समय आगरा के नजदीक आकर जाट ने उसे रोकने का फैसला किया और आसपास के गावो से सभी जातियो को मोहम्मद बिन कासिमू की सेना से लड़ने के लिए तैयार किया। आगरा से पांच कोस दूर यमुना नदी के तट पर ओंकर जाट के साथियों ने मोहम्मद बिन कासिम की सेना पर हमला कर दिया। इस युद्ध में इन्होंने अपना पराक्रमण दिखाया और मोहम्मद बिन को हरा दिया।
इस युद्ध में ओंकार जाट को दुश्मन के सिर उखाड़ते देख लोगों ने उसे मुण्ड उखाड़िया (सर उखाड़ने वाला) कहना शुरू कर दिया। मुण्ड- उखाड़िया ओकार जाट से ही मुंडवारिया गोत्र की स्थापना हुई।
समाजसेवी जन व स्थान : मुण्ड गोत्र के जाटों में श्री सुरज दौलतराम मुंड सादुवाला 1.3 एक चौकी श्री गंगानगर जाट समाज समिति जयपुर के सदस्य है
२ श्री रूधाराम जी पुत्र श्री मगनाराम मुंदलिया मुष् बिदियाद (नागौर) चौ० हरचन्द्र राम मूंड मारवाडू के क्षेत्रिय महापुरुष थे। बाबा हरचन्द्र का जन्म बाटाडू में हुआ था इन्हें किसानों का ‘का मसीहा कहा जाता है। इनके नाम से बाटाड़ू में चैत्र शुक्ला 13 भाद्रपद शुक्ला 13 एवं माध्धा शुक्ला को 13 को लगता है। मंदिर बना हुआ है। प्रिपराली रोड, सीकर । चौ० रामचन्द्र मुंड रेलवे कॉलोनी के पीछे पिपराली रोड, ड, सीकर । श्री कजोडमल मुंण्ड पुत्र श्री चतराराम मुंड, बावली सीकर। चौ॰ धन्नाराम मुंड पुत्र त्रिलोकाराम घस्सू का बास, लक्ष्मणगढ़, सीकर । चौ० ओमप्रकाश मुण्ड पुत्र श्री मोतीसिंह पिपराली रोड, सीकर । चौ० लक्खुराम मुंड पुत्र श्री दानाराम, चैनदास की ढाणी, सीकर। चौ॰ सहीराम मुंड पुत्र नानूराम मुंड, सरपंच बहलौत नगर। श्री गोपीराम मुण्ड गांव तहसील संगरिया, जिला हनुमानगढ़ वरिष्ठ प्रारन्यकार सिंचाई विभाग, श्री जगदीश चन्द्र मूड संगारिया, श्री गोपीराम मुंड हनुमानगढ़ आदि इस गोत्र के सामाजिक कार्यकर्ता है। चौ० रामूराम मुंड के पुत्र चौहान सुखदेव जी डीडवाना क्षेत्र के प्रतिष्ठित जाट सरदार हैं। इनका सम्वत् 1952 में जन्म हुआ।इनका गाँव साण्डावास है ये कांग्रेस पार्टी के आंदोलन में जेल में रहें । इन्होंने गाँव में एक स्कूल की स्थापना की। पेमाराम मुंड इनके पुत्र है तथा से समाज सेवा में लगे हुए है।